Monday, September 29, 2008

मुक्तक - नीरज - Neeraj Ke Muktak

अब न वो दर्द, न वो दिल, न वो दीवाने हैं
अब न वो साज, न वो सोज, न वो गाने हैं
साकी! अब भी यहां तू किसके लिए बैठा है
अब न वो जाम, न वो मय, न वो पैमाने हैं

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इतने बदनाम हुए हम तो इस जमाने में
तुमको लग जाएंगी सदियां इसे भुलाने में
न तो पीने का सलीका, न पिलाने का शऊर
अब तो ऐसे लोग चले आते हैं मैखाने में